January 7, 2008

दिल तो पागल है !!

मन के पंख हजार
हर पल नयी कहानियाँ.
मिट्टी से गढे कुछ पुतले
मुस्कानों से तराशे
आंसुओं में बह जाते हैं
जब सपने टूटते हैं
तुमसे बात करने का
मन होता है

दौड़ते भागते रास्तों पर
मन कहाँ ठहरता है
लुका-छिपी धुप से खेल
किरणों की धुंध में
कभी मन सहम जाता है
जब डर लगता है
तुम्हारा हाथ थामने का
मन होता है

मन तो मन है
किसी की कहाँ सुनता है
हर पल तुमको सोच
मन रोता है

inspired by mann hota hai from the new album of atif

2 comments:

Anonymous said...

guru ji,
ram ram !!
shabdo ko kitni achhi tarah pirote hai aap...
aapki shyam swet kavita mere pitaji ko bahut pasand aayi...aur isse bhi jyada aapka pyara "swan"
sab upar wale ki maya hai..hum aap parchaiya, dil, man sab kuchh ...
wo nachata hai hum nachte hai..

naween said...

@anonymous

shabd to aap bhi achhe hi bol lete hain [:P]!!